एक सरकारी अधिकारी द्वारा सभी UGC मान्यता प्राप्त संस्थानों वं योगाचार्यों की योग्यता पर सवाल

सभी पाठकों को प्रणाम !

आज का विषय है एक अधिकारी द्वारा सूचना हेतु संपर्क करने पर अधिकारी द्वारा गलत प्रकार से वहवहार
करना । गतदिवस योग शिक्षक द्वारा एक आर टी आई के माध्यम से कुछ जानकारी मांगी गई थी केंद्र सरकार द्वारा जिसमे केंद्र सरकार ने उत्तर देते हुए कहा था कि इतने लाख रुपए की राशि से केंद्र सरकार ने पंजाब
सरकार की योग शिक्षकों वं आयुष अस्पताल के विकास के लिए दी है आगे कि जानकारी हेतु केंद्र सरकार द्वारा वह पत्र पंजाब सरकार के अधिकारी को उनके नाम के साथ आगे विभाग मे भेज दिया गया और कहा गया कि इस विषय मे आगे जानकारी संबंधित व्ययक्ति को दी जाए कि इतना पैसा कहा कहा और किस प्रकार से खर्च किया गया।

पाँच तारिक का पत्र जब इस विषय मे कोई उत्तर नहीं मिला तो 18 अगस्त को व्यक्ति द्वारा विभाग के 4 व्यक्तियों को सरकारी वेबसाईट पर दिए गए संपर्क नुमबरों के माध्यम से संपर्क किया गया जिसमे से 2 कार्य नहीं कर रहे थे एक व्ययक्ति ने जानकारी के उपलक्ष्य मे कहा हमे जानकारी नहीं है आप डायरेक्टर से पूछ लें। जब व्यक्ति ने डायरेक्टर से पूछा तो सुने क्या उत्तर दिया डायरेक्टर साहिब ने।


अधिकारी द्वारा कही गयी बातें 

  • मैं कोई योग वेलनेस्स सेंटर आरंभ नहीं कर रहा 
  • मैं तो केवल बेंगलोर यूनिवर्सिटी के साढ़े पाँच वर्ष की योग डिग्री को मानता हूँ बाकी तो सब ढकोसले हैं 
  • मैंने बढ़े बढ़े योगचार्यों की इंटरव्यू ली है जिसमे वह चित्त का स्थान भी नहीं बता पाते 
  • राज्य मे कोई योग कॉलेज नहीं है न सरकार द्वारा कोई स्वरूप 
  • हमे +2वीं वालों को योग ट्रैनिंग देने के लिए कहा गया है और उसके लिए हम मास्टर ट्रैनर तयार कर रहे हैं 

आपत्ति जनक बातें 

  1. बंगलोर यूनिवर्सिटी के इलावा सभी यूनिवर्सिटी द्वारा करवाए जाने वाले कोर्स ढकोसला है तो यूजीसी इस विषय मे अपना पक्ष रखे और यह स्पष्ट करे क्या मान्य है क्या अमान्य । 
  2. क्या अधिकारी योग मे शिक्षित है अथवा यूजीसी की केमेटी का वेकती है जो योग पर  टिप्पणी कर रहा है  और किस अधिकार से योगचार्यों की योग्यता पर टिप्पणी की जा रही है ?
  3. +2वीं वालों को ट्रैनिंग दे कर योग शिक्षण दिया जाएगा इसका क्या तात्पर्य है, क्या अधिकारी का यह कहना है कि +2 वाले ट्रैनिंग ले कर योग्य हो जाएंगे वहीं योगाचार्य पढ़ कर भी अयोग्य हैं भाव देखा जाए तो एक तरफ व्ययक्ति सारी यूनिवर्सिटी, और योगशिक्षकों की योग्यता पर उंगली उठा रहा है वहीं दूसरी और वही व्ययक्ति +2वीं वालों को योग्य बता रहा है। कहीं यह एक साजिश तो नहीं अधिकारी द्वारा यां अन्य लोगों द्वारा योग शिक्षको वं योग ज्ञान का स्तर नीचे गिराने की?

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